भुवनेश्वर ; पाईक विद्रोह पर विश्व संवाद केन्द्र, भुवनेश्वर द्वारा दिनांक 18.02.2018 को पुस्तक पाईक विद्रोहःस्वतंत्रता परवर्ती
आन्दालन- का लोकार्पण उत्सव स्थानीय बुद्ध बिहार में आयोजित किया गया। इस उत्सव
में वरिष्ठ स्तंभकार भागीरथी महासुआर मुख्य अतिथि एवं उत्कल सम्मेलन के उपाध्यक्ष
इं. निराकार महालिक मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित थे। मुख्य वक्ता ने इस विशेषांक
में प्रकाशित प्रमुख आलेखों पर चर्चा करने के साथ ओड़िशा में पाईक विद्रोह की
पृष्ठ भूमी पर विस्तार से वक्तव्य रखा। अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ पाईक वीरों की
वीरगाथा तथा देश मातृका के लिए मर मिटने की ललक इन पाईक वीरों क रग रग में भरी
पड़ी थी। मुख्य वक्ता ने कहा कि ओड़िशा का खोर्धा देश का अंतिम राज्य था जो
अंग्रेजों के शासन के अधीन आया। इस विशेषांक में विद्रोह के पूर्ववर्ती घटनाओं का
विवरण, विद्रोह का संचालन एवं प्रभाव पर कई प्रमाणिक तथ्य प्रस्तुत किए गये हैं।
कूल 18 लेख इस विशेषांक में स्थानीत है जिसमें सन 1804 से लेकर सन 1884 वीर
सुरेन्द्र साय के अंतिम सासं लेने तकके समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है। पाईक
वीरों की गाथा, ओड़िशा की तत्कालीन परिस्थिति, ओड़िशा के अन्य छोटे राज्यों में
अंग्रेजों के विरुद्ध चल रहे गतिविधि पर पुस्तक में कई महत्वपूर्ण जानकारी है।
विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष अध्यापक निरंजन पाढी की अध्यक्षता में अनुष्ठित इस
लोकार्पण उत्सव में संपादक सुमन्त पंडा ने विश्व संवाद केन्द्र भुवनेश्वर शाखा कि
विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी रखी। सभा का संचालन चिन्मय बोडे ने किया
एवं नारायण दास मावतवाल ने धन्यवाद दिया।
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