देश के नायकों को पूर्वज मानता हो व परम्पराओं में आस्था हो, वह हिन्दू है – आलोक कुमार जी

मेरठ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरठ महानगर द्वारा विजयादशमी के उपलक्ष्य में रविवार, 28 अक्तूबर को संघ संगम का आयोजन किया गया. संघ संगम में महानगर के 6 स्थानों से पूर्ण गणवेश में संचलन प्रारम्भ हुआ. 03 संचलन गोल मंदिर शास्त्रीनगर, सूरजकुण्ड पार्क, सरदार पटेल इण्टर कॉलेज से चलकर हापुड़ अड्डा पर मिलकर जिमखाना मैदान पहुंचे, वहीं तीन संचलन गांधी बाग, फुटबाल मैदान रजबन, वर्धमान अकादमी रेलवे रोड से चलकर बच्चा पार्क चौराहे पर मिलकर जिमखाना मैदान पहुंचे. सभी स्वयंसेवक प्रातः 7.30 बजे केन्द्रों पर एकत्रित हुए, तथा 8.30 बजे पथ संचलन प्रारम्भ हुआ. सभी संचलन प्रातः 9.15 बजे जिमखाना मैदान पहुंचे. सामूहिक सम्पत् के बाद ध्वजारोहण, प्रार्थना के पश्चात क्षेत्र प्रचारक आलोक कुमार जी का उद्बोधन हुआ.
मंच पर क्षेत्र प्रचारक आलोक कुमार जी, क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक जी, महानगर संघचालक विनोद भारतीय जी उपस्थित रहे. आलोक जी ने कहा कि संघ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन हो चुका है. संघ विचार परिवार आज 15 करोड़ के पार पहुंच चुका है. जिसके चलते संघ के स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है. वर्तमान में भारत वर्ष में 800 से अधिक ऐसी स्वतंत्र संस्थाएं हैं जो संघ के स्वयंसेवकों द्वारा चलाई जा रही हैं, आज एक लाख 75 हजार सेवा कार्य सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे हैं और 4000 से अधिक संस्थाएं सेवा भारती से सम्बद्ध हैं. उन्होंने कहा कि हम मानते है कि भारतवर्ष एक हिन्दू राष्ट्र है और हिन्दू से हमारा आशय यह है कि जो भी व्यक्ति इस देश के नायकों को अपना पूर्वज मानता हो तथा अपने देश की परम्पराओं में उसकी आस्था हो, चाहे उसकी पूजा पद्धति कोई भी हो, वह हिन्दू है.
आलोक जी ने कहा कि हिन्दू समाज को संगठित करना ही संघ का उद्देश्य है और भारत को परम वैभव तक ले जाना संघ का सर्वोपरि लक्ष्य है. स्वयंसेवक की व्याख्या करते हुए कहा कि स्वयं की इच्छा से राष्ट्र सेवा में समर्पित व्यक्ति को स्वयंवेक कहते हैं. यदि स्वयंसेवक से कोई पूछे – धर्म, राष्ट्र, संगठन में कौन पहले है? तो इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि स्वयंसेवक के लिये राष्ट्र ही सर्वोपरि है.
केरल में हाल ही में आई बाढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों ने भयंकर आपदा से निपटने के लिये अभूतपूर्व कार्य किया है. वहां के स्वयंसेवकों ने केरल की सरकार तथा सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बाढ़ पीड़ितों की मदद की. जिसमें तीन स्वयंसेवकों का बचाव कार्य के दौरान बलिदान हो गया.
उन्होंने हाल ही में पूजनीय सरसंघचालक मोहन भागवत के उद्बोधन का उद्धरण देते हुए कहा कि जहां कहीं भी स्वयंसेवक रहते हों, वहां वह समाज में स्वयं को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करें. साथ ही जहां-जहां भी संघ की शाखाएं संचालित हो रही हैं, वह अपने आसपास समाज में किस प्रकार का योगदान दे सकते हैं, इस बारे में विचार करें और आगे बढ़कर कार्य करें. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संघ में जाति के लिये कोई स्थान नहीं है. हम केवल हिन्दू हैं, वही हमारा विचार है और इसके सामने जातिगत पहचान गौण है. इसी विचार के कारण संघ 93 वर्षों से निरन्तर अपने स्वरूप को अविघटित रखे हुए है.

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