आजादी के समय जम्मू कश्मीर राज्य की संवैधानिक स्थिति क्या थी और कैसे जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना. इसको समझने के लिए कुछ समय के पड़ावों को समझकर आप आसानी से जम्मू कश्मीर के अधिमिलन को समझ सकते हैं. पढ़िए औऱ जानिए –
1. 1946, भारत में अंग्रेज़ी शासन, प्रशासनिक रूप से दो भागो में बंटा था.
ब्रिटिश भारत – इस क्षेत्र पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष शासन था, जिसका शासन सीधे लंदन में बैठे राज्य के सचिव की कलम से चलता था. प्रिंसली स्टेट्स – इस क्षेत्र पर अँग्रेज रियासतों के राजा, महाराजा, नवाबों के जरिये शासन करता था. यानि 565 रियासतों में रहने वाली प्रजा पर अंग्रेज राजाओं और नवाबों के माध्यम से राज करते थे.
2. 12 मई, 1946 के कैबिनेट मिशन ज्ञापन के अनुसार
“रियासतों और ब्रिटिश भारत के बीच स्थापित राजनीतिक व्यवस्थाएं समाप्त हो जाएंगी, इसके चलते जो शून्यता या खालीपन आएगा, उसे रियासतें, ब्रिटिश इंडिया की उत्तराधिकारी सरकार या सरकारों के साथ संघीय सम्बन्ध स्थापित करके भरेंगी और ऐसा न हो पाने कि स्थिति में रियासत/रियासतें विशेष राजनैतिक व्यवस्था ब्रिटिश इंडिया की उत्ताधिकारी सरकार या सरकारों के साथ स्थापित करेंगी.”
3. 17 जून 1947 को भारतीय स्वाधीनता अधिनियम-1947 ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया. 18 जुलाई को इसे राजकीय स्वीकृति मिली, जिसके अनुसार 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली.
4. 25 जुलाई, 1947 को देसी राज्यों के राजाओं और उनके प्रतिनिधियों की बैठक माउंटबेटन साथ हुई. माउंटबेटन ने कहा कि सब रियासतों और उनकी प्रजा के हित में यही होगा, कि वे तीन अहम विषयों को केंद्र को सौंपने का निर्णय लेते हुए इस बैठक में बांटे जा रहे हैं. अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करें.
5. 16 अगस्त, 1947 को जम्मू कश्मीर के महाराजा ने भारत और पाकिस्तान को यथास्थिति करार का प्रस्ताव टेलीग्राम के माध्यम से भेज दिया. पाकिस्तान ने जवाबी टेलीग्राम से यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. जबकि भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री को इस सम्बन्ध में बातचीत के लिए दिल्ली आने का निमंत्रण दिया.
6. 03 सितम्बर, 1947 – पाकिस्तान ने यथास्थिति समझौते का उल्लंघन किया. 03 सितम्बर, 1947 से पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण शुरू कर दिया.
7. 22 अक्टूबर 1947 पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा आक्रमण कर दिया.
8. 24 अक्टूबर 1947 महाराजा हरी सिंह ने भारत सरकार से सैन्य सहायता की प्रार्थना की और साथ ही भारत में राज्य के अधिमिलन का प्रस्ताव भारत के प्रधानमंत्री के पास भेजा.
9. 26 अक्टूबर 1947 महाराजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर के भारत के साथ अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर किये.
10. 27 अक्टूबर 1947 को अधिमिलन को स्वीकार करते हुए तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने लिखा “….. मैं एतद्द्वारा विलय के इस प्रपत्र को अक्तूबर के सत्ताईसवें दिन सन् उन्नीस सौ सैंतालीस को स्वीकार करता हूं.”
लॉर्ड माउंटबेटन के अधिमिलन प्रपत्र स्वीकार करने के साथ ही जम्मू कश्मीर का अधिमिलन भारत अधिराज्य में हो गया.
11. अधिमिलन पत्र में अनुच्छेद-1 के अनुसार, जम्मू-कश्मीर भारत का स्थायी भाग है.
12. भारतीय संविधान में दी गई राज्यों की सूची में जम्मू-कश्मीर 15 वें स्थान पर है.
13. 1951 में जम्मू-कश्मीर राज्य संविधान सभा का निर्वाचन हुआ. इसी संविधान सभा ने 6 फरवरी 1954 को राज्य के भारत में अधिमिलन की अभिपुष्टि की.
14. 26 जनवरी 1957 – राज्य का अपना संविधान लागू किया गया, जिसके अनुसार –
सेक्शन 3 : जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा.
जम्मू कश्मीर संविधान के सेक्शन 147 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सेक्शन – 3, जो कहता है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा, और 147 को कभी बदला नहीं जा सकता.
साभार – jammukashmirnow
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